एमरजेंसी आज की तुलना में
-एमरजेंसी को पिछले 43 वर्षों में जितना बदनाम किया गया है, वास्तव में उस समय की स्थिति ऐसी नहीं थी।
-एमरजेंसी एक शुद्ध राजनीतिक फैसला था और लड़़ाई एक राजनेता की दूसरे राजनेताओं के बीच थी।
-केवल अराजकता फैलने के डर से ही नेताओं को जेल में डाला गया था।
-इनमें अधिकतर वे लोग शामिल थे जो सांप्रदयिक फैलाने की कोशिश करते रहते थे। मजहबों का ध्रुवीकरण करने में लगे रहते थे, और देश को बांटने की कोशिश करते रहते थे।
-आम नागरिक को जेलों में नही डाला गया था
- जनता को किसी प्रकार की असुविधा झेलनी नहीं पड़ी थी। यदि असुविधा हुई थी तो विपक्षी नेताओं को जो वर्षों से कांग्रेस के हाथों से सत्ता छीनने के लिए हाथ-पांव मार रहे थे।
-वास्तव में इंदिरा गांधी एक अयरन लेडी थी। एक वहीं नेता थी जिसने अपनी दृढ़ शक्ति से पाकिस्तान को 1971 की जंग में हराया था और उनके 90000 सैनिकों को कैद कर पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिये थे। तथा पूर्वी पाकिस्तान ( अब बंगला देश) की ओर की सीमा के सामरिक डर से देश को हमेशा के लिए राहत दिला दी थी। उस जैसी दृढ़ शक्ति वाली नेता सदियों में एक बार ही पैदा होता है।
-एमरजेंसी में बेशक कुछ समय के लिए नागरिकों के अधिकार निलंबित कर दिए गये थे, और शक्ति सरकार के हाथ में आ गई थी, परंतु व्यवहारिक रूप से जनता अपने मौलिक अधिकारों को ज्यों का त्यों उपयोग करती रही थी।
-आज की तुलना में देखा जाये तो जनता के अधिकार से कोई छोड़-छाड़ नहीं की गई थी।
-एमरजेंसी आम नागरिक के लिए केवल एक डर भर था जिससे देश में अनुशासन आ गया था।
-एमरजेंसी में धर्मों का ध्रुवीकरण नहीं होने दिया गया था। विभिन्न धर्मों के बीच कोई लकीर नहीं खींची गई थी। और जो लोग घृणा फैलाने की कोशिश करते थे, वे दुबक कर छुप गये थे।
-एमरजेंसी में किसी व्यक्ति को भीड़ ने नहीं मारा था।
-एमरजेंसी में किसी दलित पर कोई अत्याचार नहीं हुए थे।
1975 वर्ष की अगर आज के दौर से तुलना की जाये तो हम पाते हैं कि आज देश में मानव अधिकारों का कहीं ज्यादा हनन हो रहा है। अराजक और सांप्रदायिक तत्व ज्यादा बेलगाम हो गये हैं। संविधान प्रदत्त शक्तियों को ज्यादा तोड़-मरोड़ कर उनका दुरुपयोग किया जाने लगा है। आज जब उन दिनों को याद किया जाता है तो हम देखते हैं कि आज जो देश में घृणा की हवा दिन प्रतिदिन फैलती जा रही है, 1975 के वर्ष एमरजेंसी के बावजूद भी लोग आज से ज्यादा सुख की सांस ले रहे थे।