ओ राजा जी!
तुम हमारे राजा हो
हम तुम्हारी प्रजा हैं
तुम महलों में सोते हो?
हम खेतों में सोते हैं
तुम रजाई ओढ़ते हो
हम आसमान ओढ़ते हैं
तुम मन की बात करते हो
हम तन की बात करते हैं
तुम भाषण देते हो
हम राशन देते हैं
तुम पूंजीपतियों के दूत हो
हम मिट्टी के पूत हैं
तुम चार हो
हम चैंसठ करोड़ हैं
ओ राजा जी!
तुम जहां कील गाड़ोगे
हम वहां फूल उगायेंगे
तुम हमें बौछार दोगे
हम उसमें नहा लेंगे
तुम हमें गोली दोगे
हम उसे प्रसाद समझ खा लेंगे
यह देश तुम्हारा भी है
यह देश हमारा भी है
ओ राजा जी
तुम कैसे राजा हो