उदास मित्र से
कैसे हो यार
जिंदगी के दिन हैं चार
कुछ बोला करो
कुछ हंसा करो
कुछ खाया करो
कुछ पिया करो
मजे से जिया करो
रोते रहते हो
शिकायत करते रहते हो
लड़ते रहते हो
ईर्ष्या करते रहते हो
खून जलाते रहते हो
मजे से रहा करो
कुछ काम किया करो
लोगों से मिला करो
बातें-चीतें किया करो,
किसी के घर जाया करो
किसी को घर बुलाया करो
कुछ हंसा करो
कुछ गुनगुनाया करो
तुम भी बस क्या हो यार
लगते हो जैसे बीमार
मुंह फुलाए रहते हो
अरे बनो दिलदार
क्या तुम्हें करना नहीं आता प्यार?
कुछ सीख लो यार
या कुछ ले लो हमसे उधार
चुका देना जब चाहे
या फिर मुफ्त में ही ले लो
अब हंस भी दो यार
(बलदेव सिह महरोक)
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