सोमवार, 30 मई 2016

               उड़ने वाले लोग 

उड़ने लगते हैं कुछ लोग
उस दिशा मैं हवा का रुख देख  कर
 वे  मानव  नहीं  होते
वे होते  हैं कागज के टुकड़े
पत्ते या तिनके।
मिल जाते हैं
वहीँ कहीं धूल में
नहीं  चलती जब  हवा।
मगर वो जो,
हवाओं से  टकराने वाले
 खड़े रहते हैं  सीना तान कर
 करते हैं मुकाबला
 आंधियों का
वे या तो टूट  जाते हैं,
 या फिर
आंधियां उन्हें सलाम करती हैं।
 

 




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