गुरुवार, 2 जून 2016

बच्चों के लिए 

लो आ गयी है गर्मी
लो आ गयी है गर्मी
उड़  गया है पाला
गर्मी ने डेरा डाला
सर्दी हुई पराई
लो  फैंक दी  रजाई 
लगती भली है छाया
गर्माने लगी है काया
चूने लगा पसीना
मुश्किल हुआ है जीना
उड़ने लगी है धूल
खिलने लगे हैं फूल
पानी मैं  कूद जाओ
धमा  चौकड़ी मचाओ

(बलदेव सिंह महरोक )

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