बुधवार, 6 जुलाई 2016


दिनांक  6 -7-2016 -    दिन बुधवार 
पीटीसी पंजाबी  हरिमंदिर साहिब अमृतसर से सुबह  8 - 15  बजे
गुरबाणी का सीधा प्रसारण चल रहा था. उस समय  जिसने भी  उक्त    चैनल  खोल रखा  होगा,  उसने देखा होगा   कि  पंजाब का  मुख्य मंत्री  प्रकाश सिंह बादल    दरबार साहिब में माथा टेकने आया हुआ था। .
 ठीक 8 -15  बजे जब वह  माथा टेक रहा था उस समय हज़ूरी रागी यह शब्द गा रहे थे:
मिल मेरे प्रीतमा जीओ,  तुध बिन खरी निमाणी। 
मैं नैणी नींद न आवे जीओ , भावै  अन्न न पाणी। .
यह शब्द तीसरे गुरु श्री गुरु   अमर दास जी का रचा  हुआ है.जो   दुसरे गुरु श्री अंगद देव जी के समक्ष विनती करते हुए उनके मुखारबिन  से निकला था.  गुरु ग्रन्थ साहिब में दर्ज बांणी परमात्मा की स्तुति में है।

   बादल के ऐन माथा टेकते  वक्त यह शब्द गाना   संयोग नहीं  कहा  जा  सकता..
 सिख  संगत तै करे  कि :

1  यह शब्द प्रकाश सिंह बादल के आगमन पर जब  वह  एन दरबार सहिब  में माथा तक रहा था, क्यों   गाया  गया.?
 २ क्या यह सच नहीं था की यह शब्द बादल की आवभगत को ध्यान में रख कर   गाया  गया?
३  एक व्यक्ति को गुरु/परत्मात्मा का दर्जा किस मर्यादा के तहत दिया गया ?
४ . क्या गुरबाणी किसी व्यक्ति विशेष को ध्यान में रख कर गायी जा सकती हैं?
५ . क्या इससे श्री दरबार साहिब की मान मर्यादा भांग नहीं हुई?
६ . रागी सिंघों से यह शब्द गवाने के पीछे किसके आदेश थे?. (क्योंकि रागी सिंह तो मात्र SGPC के वेतनभोगी कर्मचारी  हैं. )
(ठीक  लगे तो सिख संगत तक  पहुंचाएं )

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