गुरुवार, 1 सितंबर 2016

Hamari Betian

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मंगलवार, 30 अगस्त 2016


 साम्प्रदायिक राजनीति  के चक्रव्यू में फंस एक पवित्र नारा
क्या इसे हम अपने देश का दुर्भाग्य कहें की आज हम एक ऐसी राजनितिक व्यवस्था  इन जिसमे नेता और राजनितिक दाल अपनी  महत्वकांशा के चलते भरा की राजनीतित  तरह से प्रदूषित करने में लगे हुए हैं. लोकतान्त्रिक  व्यवस्था की एक बड़ी त्रुटि यह है की सत्ताधारियों द्वार अपने   जनता के हितों की बलि चढ़ाने में कीसी भी तरह की परहेज नहीं ;किया जाता.
चिंता की जिस बात की और हमारा ध्यान बरबस जाता है वह यह है की भाजपा के नेताओं द्वार जिस  आरएसस  के एजेंडे के अनुसार कुछ   उठाया जा रहा है जिनका आज कक   अर्थ नहीं है.   लेकर उसे अपने तरिके से उरिभाषित करना उनकी  आदत हिन्ही है बल्कि राजनीती  का एक हिस्सा है.
 .
हमारे देश का एक पवित्र नैरा था  -'भारत माता की जय' 'था' इसलिए  क्योंकि कुछ वर्ष पहले तक यह नर कत्यन्त पवित्र मन जाता था. जिस को आज तक प्रत्येक  भारतीय पवित्रता से ग्वल्ता चला आ रहा था  कभी किसी  को यह ख्याल नहीं आया था की   भी किन्हीं सीमाओं में बांध दिया जायेगा. परंतु हमारे हिन्दू राष्ट्रवादियों ने इन पवित्र   भगवा रंग चढ़ा कर इसे केवल हिंदुओं तक सीमित करने की कोशिश  की है

. जिस प्रकार  आरएसएस   प्रायोजित भाजपा के मनफट्ट नेताओं  द्वारा सुनयोजित तग़रीक़े से देश के लोगों  कोभरत  बोलने के लिए निर्देश  देने का अभियान चलाया है उससे  एक बार तो पूरा देश दो  खेमो में बांटता हुआ सा लगा.  आज तक सभिदेश्वासि चाहे वे हिन्दू हों या मुसलमान या अन्य किसी। जरफ्म के.  को बोलने में गर्ब्व  महसूस किया जाता था प्रन्तुअब उसे बोलने से पहले उनकी जबान  यदि अटकती हैं या उन्हें  पड़ता हैं तो इसका  दोष केवल आर एस एस को  जाता  हैं. .

कितने दुःख की बात हैं की भगवाधारियों  द्वारा  बड़े सुनयोजित  तरीके ड़ड़ड़ड़ से से की आग में  धकेलने की साजिश रची जा रही है. आज येलोग हिन्दुस्तगं, भारत और  कोभीअपने हिसाब से परिभाषित सहने में लगे हुए हैं. अगर अपने देशकोकोई भारत ये हिंदुस्तान या इंडिया  के नाम से पुकारता है तो इसमें हर्ज ही क्याहै।   को अगर पलट कर देखा  तो  वृहद  भौगोलिक  भूमि का समूह हैं जिसमें   साथ साथ पाकिस्तान बगला अब   दलशउर भूटान  जैसे  छोटे छोटे राज्य   हैं. परंतु भगवाधारियों के निर्देशों  का  करते हुए यदि हम 'भारत जय'  बोलते हैं  इसका अर्थ यह हुआ की हम में इसके साथ साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश की भी जय बोल जाते हैं जिनको कि हम  अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानते हैं.  भारत शब्द की ध्वनि से  किसी भी लिहाज से हिन्दू देश    अर्थ नहीं निकलता जबकि 'हिंदुस्तान' शब्द से 'हिन्दू'शब्द की धवनि निकलती हैं. . वास्तव में आजादी व  बटवारे  पश्चात हमारा देश भारत न रह कर  हिंदुस्तान रह गया है. और हिन्दू राष्ट्र   लाने वाले आरएसएस के लोग हिंदुस्तान शब्द को य ममं  शब्द  को स्वीकार कर  रहे हैं तो       इसे हिन्दू राष्ट्र  ऐसी भूमिके रूप; में  मान्यता  जिसमें हिँउद फग नहीं  बल्कि अनेक धर्मो लउर जातियन के लोग रह रहे हैं

अब भगवाधारियों को कौन समझाए कि  जो वे करना चाहते हैं उससे बिलकुल उल्ट हो रहा हैं.




 साम्प्रदायिक राजनीति  के चक्रव्यू में फंस एक पवित्र नारा
क्या इसे हम अपने देश का दुर्भाग्य कहें की आज हम एक ऐसी राजनितिक व्यवस्था  इन जिसमे नेता और राजनितिक दाल अपनी  महत्वकांशा के चलते भरा की राजनीतित  तरह से प्रदूषित करने में लगे हुए हैं. लोकतान्त्रिक  व्यवस्था की एक बड़ी त्रुटि यह है की सत्ताधारियों द्वार अपने   जनता के हितों की बलि चढ़ाने में कीसी भी तरह की परहेज नहीं ;किया जाता.
चिंता की जिस बात की और हमारा ध्यान बरबस जाता है वह यह है की भाजपा के नेताओं द्वार जिस  आरएसस  के एजेंडे के अनुसार कुछ   उठाया जा रहा है जिनका आज कक   अर्थ नहीं है.   लेकर उसे अपने तरिके से उरिभाषित करना उनकी  आदत हिन्ही है बल्कि राजनीती  का एक हिस्सा है.
 .
हमारे देश का एक पवित्र नैरा था  -'भारत माता की जय' 'था' इसलिए  क्योंकि कुछ वर्ष पहले तक यह नर कत्यन्त पवित्र मन जाता था. जिस को आज तक प्रत्येक  भारतीय पवित्रता से ग्वल्ता चला आ रहा था  कभी किसी  को यह ख्याल नहीं आया था की   भी किन्हीं सीमाओं में बांध दिया जायेगा. परंतु हमारे हिन्दू राष्ट्रवादियों ने इन पवित्र   भगवा रंग चढ़ा कर इसे केवल हिंदुओं तक सीमित करने की कोशिश  की है

. जिस प्रकार  आरएसएस   प्रायोजित भाजपा के मनफट्ट नेताओं  द्वारा सुनयोजित तग़रीक़े से देश के लोगों  कोभरत  बोलने के लिए निर्देश  देने का अभियान चलाया है उससे  एक बार तो पूरा देश दो  खेमो में बांटता हुआ सा लगा.  आज तक सभिदेश्वासि चाहे वे हिन्दू हों या मुसलमान या अन्य किसी। जरफ्म के.  को बोलने में गर्ब्व  महसूस किया जाता था प्रन्तुअब उसे बोलने से पहले उनकी जबान  यदि अटकती हैं या उन्हें  पड़ता हैं तो इसका  दोष केवल आर एस एस को  जाता  हैं. .

कितने दुःख की बात हैं की भगवाधारियों  द्वारा  बड़े सुनयोजित  तरीके ड़ड़ड़ड़ से से की आग में  धकेलने की साजिश रची जा रही है. आज येलोग हिन्दुस्तगं, भारत और  कोभीअपने हिसाब से परिभाषित सहने में लगे हुए हैं. अगर अपने देशकोकोई भारत ये हिंदुस्तान या इंडिया  के नाम से पुकारता है तो इसमें हर्ज ही क्याहै।   को अगर पलट कर देखा  तो  वृहद  भौगोलिक  भूमि का समूह हैं जिसमें   साथ साथ पाकिस्तान बगला अब   दलशउर भूटान  जैसे  छोटे छोटे राज्य   हैं. परंतु भगवाधारियों के निर्देशों  का  करते हुए यदि हम 'भारत जय'  बोलते हैं  इसका अर्थ यह हुआ की हम में इसके साथ साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश की भी जय बोल जाते हैं जिनको कि हम  अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानते हैं.  भारत शब्द की ध्वनि से  किसी भी लिहाज से हिन्दू देश    अर्थ नहीं निकलता जबकि 'हिंदुस्तान' शब्द से 'हिन्दू'शब्द की धवनि निकलती हैं. . वास्तव में आजादी व  बटवारे  पश्चात हमारा देश भारत न रह कर  हिंदुस्तान रह गया है. और हिन्दू राष्ट्र   लाने वाले आरएसएस के लोग हिंदुस्तान शब्द को य ममं  शब्द  को स्वीकार कर  रहे हैं तो       इसे हिन्दू राष्ट्र  ऐसी भूमिके रूप; में  मान्यता  जिसमें हिँउद फग नहीं  बल्कि अनेक धर्मो लउर जातियन के लोग रह रहे हैं

अब भगवाधारियों को कौन समझाए कि  जो वे करना चाहते हैं उससे बिलकुल उल्ट हो रहा हैं.





 साम्प्रदायिक राजनीति  के चक्रव्यू में फंस एक पवित्र नारा
क्या इसे हम अपने देश का दुर्भाग्य कहें की आज हम एक ऐसी राजनितिक व्यवस्था  इन जिसमे नेता और राजनितिक दाल अपनी  महत्वकांशा के चलते भरा की राजनीतित  तरह से प्रदूषित करने में लगे हुए हैं. लोकतान्त्रिक  व्यवस्था की एक बड़ी त्रुटि यह है की सत्ताधारियों द्वार अपने   जनता के हितों की बलि चढ़ाने में कीसी भी तरह की परहेज नहीं ;किया जाता.
चिंता की जिस बात की और हमारा ध्यान बरबस जाता है वह यह है की भाजपा के नेताओं द्वार जिस  आरएसस  के एजेंडे के अनुसार कुछ   उठाया जा रहा है जिनका आज कक   अर्थ नहीं है.   लेकर उसे अपने तरिके से उरिभाषित करना उनकी  आदत हिन्ही है बल्कि राजनीती  का एक हिस्सा है.
 .
हमारे देश का एक पवित्र नैरा था  -'भारत माता की जय' 'था' इसलिए  क्योंकि कुछ वर्ष पहले तक यह नर कत्यन्त पवित्र मन जाता था. जिस को आज तक प्रत्येक  भारतीय पवित्रता से ग्वल्ता चला आ रहा था  कभी किसी  को यह ख्याल नहीं आया था की   भी किन्हीं सीमाओं में बांध दिया जायेगा. परंतु हमारे हिन्दू राष्ट्रवादियों ने इन पवित्र   भगवा रंग चढ़ा कर इसे केवल हिंदुओं तक सीमित करने की कोशिश  की है

. जिस प्रकार  आरएसएस   प्रायोजित भाजपा के मनफट्ट नेताओं  द्वारा सुनयोजित तग़रीक़े से देश के लोगों  कोभरत  बोलने के लिए निर्देश  देने का अभियान चलाया है उससे  एक बार तो पूरा देश दो  खेमो में बांटता हुआ सा लगा.  आज तक सभिदेश्वासि चाहे वे हिन्दू हों या मुसलमान या अन्य किसी। जरफ्म के.  को बोलने में गर्ब्व  महसूस किया जाता था प्रन्तुअब उसे बोलने से पहले उनकी जबान  यदि अटकती हैं या उन्हें  पड़ता हैं तो इसका  दोष केवल आर एस एस को  जाता  हैं. .

कितने दुःख की बात हैं की भगवाधारियों  द्वारा  बड़े सुनयोजित  तरीके ड़ड़ड़ड़ से से की आग में  धकेलने की साजिश रची जा रही है. आज येलोग हिन्दुस्तगं, भारत और  कोभीअपने हिसाब से परिभाषित सहने में लगे हुए हैं. अगर अपने देशकोकोई भारत ये हिंदुस्तान या इंडिया  के नाम से पुकारता है तो इसमें हर्ज ही क्याहै।   को अगर पलट कर देखा  तो  वृहद  भौगोलिक  भूमि का समूह हैं जिसमें   साथ साथ पाकिस्तान बगला अब   दलशउर भूटान  जैसे  छोटे छोटे राज्य   हैं. परंतु भगवाधारियों के निर्देशों  का  करते हुए यदि हम 'भारत जय'  बोलते हैं  इसका अर्थ यह हुआ की हम में इसके साथ साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश की भी जय बोल जाते हैं जिनको कि हम  अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानते हैं.  भारत शब्द की ध्वनि से  किसी भी लिहाज से हिन्दू देश    अर्थ नहीं निकलता जबकि 'हिंदुस्तान' शब्द से 'हिन्दू'शब्द की धवनि निकलती हैं. . वास्तव में आजादी व  बटवारे  पश्चात हमारा देश भारत न रह कर  हिंदुस्तान रह गया है. और हिन्दू राष्ट्र   लाने वाले आरएसएस के लोग हिंदुस्तान शब्द को य ममं  शब्द  को स्वीकार कर  रहे हैं तो       इसे हिन्दू राष्ट्र  ऐसी भूमिके रूप; में  मान्यता  जिसमें हिँउद फग नहीं  बल्कि अनेक धर्मो लउर जातियन के लोग रह रहे हैं

अब भगवाधारियों को कौन समझाए कि  जो वे करना चाहते हैं उससे बिलकुल उल्ट हो रहा हैं.




हमारी बेटियां (देश की सभी बेटियों के नाम)

 https://www.facebook.com/253981448301461/posts/1492619764437617/ हमारी बेटिया      इस बार फिर ओलंपिक आया। हमारी बेटियों ने  फिर करिश्मा दिख...