सोमवार, 26 जुलाई 2021

हमारी बेटियां (देश की सभी बेटियों के नाम)

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हमारी बेटिया


     इस बार फिर ओलंपिक आया। हमारी बेटियों ने  फिर करिश्मा दिखाया और तमगे जीत लिये। और देश के नाम कर दिया। बधाइयां मिलने लगीं। पिछले रियो ओलंपिक में भी हमारी दो बेटियों ने तमगे जीते थे और देश की इज्जत बचाई थी। 

पता नहीं ये बेटिया कैसी होती हैं। किस मिट्टी की बनी होती हैं। अपनी मेहनत का श्रेय स्वयं कभी नहीं लेतीं। करती अपने दम पर हैं। नाम कर देती हैं मां-बाप का... अपने देश का या फिर भगवान के नाम कर देती हैं और मंदिर जाकर माथा टेकती हैं ....हे भगवान! तेरा धन्यवाद। तूने मुझे तमगा जितवा दिया...

 वाह! क्या कहने! हमने उनको सिखाया ही ऐसा है कि तुम अगर 'हो' तो दूसरों के दम पर हो।  तुम हमारा अहसान मानो कि हमने तुम्हें इस दुनिया में आने दिया। तुम्हें पालपोस कर बड़ा किया। इतना क्या कम है ... यह घर तुम्हारा नहीं है। तुम्हारा घर कोई और है। तुम दूसरों के लिये हो.....

  बेटियां जब पैदा होती हैं तो मां-बाप को अपनी बेटियों को बेटियां कहने में शरम आती हैं। वे कहते हैं- भगवान की यही मर्जी थी।

   कुछ ऐसा ही होता है हमारी बेटियों के साथ। बेटियों के पैदा होने पर कभी लड्डू या मिठाई नहीं बांटे जाती। कभी जश्न नहीं मनाए जाते....

       परन्तु जब तमगा जीत कर लाती हैं तब गर्व से कहने लगते हैं  -ये हमारी बेटियां हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, मुख्यमंत्रियों ने कहा, मंत्रियों ने कहा, संतरियों ने भी कह दिया  -हमारी बेटियां। फिर ये देश की भी बेटियां बन जाती हैं। समाज के ठेकेदार जो कहते थे घर की दहलीज से बाहर पांव मत रखा करो!  वे अब बोल पड़े- देखो, हमारी बेटिया हैं। हमारी बेटियों ने किया है।

 इन को ये बेटियां उस समय नज़र नहीं आती जब ये संघर्ष कर रही होती हैं। तब कोई नहीं पूछता कि तुम्हें खाना भी मिलता है या नहीं । तुम्हारे पास पहनने के लिए ढंग के कपड़े भी हैं या नहीं।

     इनको बाकी बेटियों की भी कभी याद नहीं आती जो सुबह उठकर कूड़े के ढेर से प्लास्टिक बीनती हैं। न ही इनको उन बेटियों की याद आती है जिनको सुबह स्कूल जाना था परन्तु वे दूसरों के घरों में कूड़ा सफाई करने निकल जाती हैं और बर्तन मांजती हैं।  याद आयेगी भी नहीं क्योंकि इन लोगों की दृष्टि में प्लास्टिक बीनने वाली और बर्तन मांजने वाली बेटियां नहीं होतीं। वे सिर्फ इनके इस्तेमाल की चीज होती हैं। परंतु जब कभी तमगा लेकर आती हैं, तब वे  इनकी बेटियां बन जाती हैं।

अरे!  किधर जाना था किधर चलने लगा।  हमारी  बेटी ने तमगा जीत लिया। और भी जीतेंगी।   हमने इनको इनाम दे दिये। हमारी डियूटी पूरी। बधाई हो.

हमारी बेटियां (देश की सभी बेटियों के नाम)

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