शुक्रवार, 2 अगस्त 2019

ये नेता लोग  इस  सम्मान के हकदार नहीं हैं

     विधानसभा से लेकर संसद तक जिन लोगों को हम देश का शासन चलाने के लिए भेजते हैं, जिन्हें हम लोकतंत्र की रक्षा करने की जिम्मेदारी सौंपते हैं, जिन्हें हम देश के नागरिकों की रक्षा की जिम्मेदारी देते हैं, जिनसे हम हर नागरिक के लिए न्याय की आशा करते हैं, लेकिन बाद में ये लोग अपना कर्तव्य निर्वहन करने में असफल रहते हैं, और हमें पता चलता है कि इनमें से अधिकतर लोग बाहुबली, बलात्कारी,  हत्यारे, बदमाश, स्मगलर हैं, और हमें धोखा दे रहे हैं, तो क्या इनके नाम का संबोधन  करते  समय उनके नाम से पहले श्री लगाना चाहिए या इन्हें "जी" कहकर संबोधन करना चाहिए? क्या ये लोग "श्री" और  "जी" के हकदार हैं? ऐसे  लोग किसी भी तरह से इन सम्मान जनक शब्दों के हकदार नहीं हो सकते।
       इन लोगों को उनकी असली औकात जनता ही दिखा सकती है। ये जितने भी लोग हैं,  एक माननीय राष्ट्रपति को छोड़कर, इन लोगों को संबोधित करते समय, यथा लिखने में, बोलने में, भाषण आदि देते समय  इनके नाम से पहले  ''श्री” लगाना और बाद में "जी" लगाना छोड़ दीजिए। ये लोग इस सम्मान के हकदार नहीं हैं.. कदापि नहीं। ये लोग जनता के माई -बाप नहीं, सेवक हैं। इन्हें सेवक की तरह ही संबोधित कीजिए। जानते हो ना,  सेवक को कैसे संबोधित किया जाता है?..हूं.....?

हमारी बेटियां (देश की सभी बेटियों के नाम)

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