शुक्रवार, 14 सितंबर 2012


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बुधवार, 12 सितंबर 2012


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रविवार, 22 अप्रैल 2012


बलदेव सिंह महरोक


ढम  ढम ढम
परीक्षाएं हुई ख़त्म 
खली हुआ मन 
पढाई से लें दम 
खेलने का मौसम 
आओं नाचें हम 

(बच्चे संग बच्चे  होना कितना अच्छा लगता है)

गुरुवार, 29 मार्च 2012




-बलदेव सिंह महरोक



    हमें  तो मिले यहाँ
 
    झूठ को सच और

    सच को झूठ बनाने वाले

    और शेष उनकी हाँ में हाँ मिलाने वाले

    लगता है हमने

    गलत दुनिया में

    गलत जगह पर

    गलत  समय में

    जनम ले लिया है 

बुधवार, 28 मार्च 2012

बाल कविता


रुकना हमने कभी न सीखा 
झुकना हमने कभी न सीखा

पीछे हटना कभी न सीखा
आगे& आगे  बढ़ना सीखा 

तूफानों से  लड़ना  सीखा 
शिखरों पर है चढ़ना सीखा 

पर्वत से  टकराना  सीखा 
कभी नहीं  घबराना सीखा

हँसना और हँसाना  सीखा 
पढना और पढ़ाना  सीखा 

फूलों सा खिल जाना सीखा 
सब का हाथ बंटाना सीखा    

हम बच्चे हैं मन के सच्चे
सबको गले लगाना  सीखा 


     ( कभी कभी बच्चों जैसा बन कर देखो .भूल जाओ क़ि हम बड़े हैं .  सचमुच बहुत मजा आएगा . निश्चय  ही आप अपने बचपन में  पहुँच जायेंगे .) 

हमारी बेटियां (देश की सभी बेटियों के नाम)

 https://www.facebook.com/253981448301461/posts/1492619764437617/ हमारी बेटिया      इस बार फिर ओलंपिक आया। हमारी बेटियों ने  फिर करिश्मा दिख...