बाल कविता
रुकना हमने कभी न सीखा
झुकना हमने कभी न सीखा
पीछे हटना कभी न सीखा
आगे& आगे बढ़ना सीखा
तूफानों से लड़ना सीखा
शिखरों पर है चढ़ना सीखा
पर्वत से टकराना सीखा
कभी नहीं घबराना सीखा
हँसना और हँसाना सीखा
पढना और पढ़ाना सीखा
फूलों सा खिल जाना सीखा
सब का हाथ बंटाना सीखा
हम बच्चे हैं मन के सच्चे
सबको गले लगाना सीखा
( कभी कभी बच्चों जैसा बन कर देखो .भूल जाओ क़ि हम बड़े हैं . सचमुच बहुत मजा आएगा . निश्चय ही आप अपने बचपन में पहुँच जायेंगे .)
( कभी कभी बच्चों जैसा बन कर देखो .भूल जाओ क़ि हम बड़े हैं . सचमुच बहुत मजा आएगा . निश्चय ही आप अपने बचपन में पहुँच जायेंगे .)
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