उड़ने वाले लोग
उड़ने लगते हैं कुछ लोगउस दिशा मैं हवा का रुख देख कर
वे मानव नहीं होते
वे होते हैं कागज के टुकड़े
पत्ते या तिनके।
मिल जाते हैं
वहीँ कहीं धूल में
नहीं चलती जब हवा।
मगर वो जो,
हवाओं से टकराने वाले
खड़े रहते हैं सीना तान कर
करते हैं मुकाबला
आंधियों का
वे या तो टूट जाते हैं,
या फिर
आंधियां उन्हें सलाम करती हैं।
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