बस इतना सा अंतर है चीन और भारत में
भारत के गुजरात में जब विश्व की सबसे ऊंची अर्थात 600 फुट ऊंची सरदार पटेल की मूर्ति लगाई जा रही थी तो दूसरी तरफ चीन अपने शांक्शी प्रांत के झियान शहर में 330 फुट ऊंचा टावर बना कर खड़ा कर रहा था । यह विश्व का सबसे ऊंचा एयर प्यूरिफायर है जो दूषित हवा को साफ करता है और पूरे शहर की हवा को साफ रखता है व हर रोज 1 करोड़ घन मीटर हवा को साफ करता है
हमारी मूर्ति सात किलोमीटर दूर से नजर आती है। चीन का वह टावर 10 किलोमीटर की परिधि से हवा साफ करता है। यह धूंए को सोख लेता है।
यही अंतर है हमारे में और चीन में।
भारत के लोग अयोध्या में सबसे ऊंचीे राम की मूर्ति बनाने की योजना बना रहे हैं, उधर चीन ने एक कृ़ित्रम चंद्रमा बनाना शुरू कर दिया है जो सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करके दिल्ली जैसे बड़े शहर को रात में रोशनी देगा। यह हमारे प्राकृतिक चंद्रमा से 8 गुना ज्यादा प्रकाश देगा, अर्थात सारे शहर में स्ट्रीट लाईट की जरूरत नहीं पड़ेगी और शहर रात को भी दिन की तरह चमकेगा। इससे उन्हें 1250 करोड़ रुपए प्त वर्ष की बचत होगी। यही अंतर है हमारे में और चीन में ।
हमें गर्व है कि रामायण काल में श्री राम जी की सेना ने समुंद्र पर 30 किलोमीटर लम्बा श्रीलंका तक पुल बनाया था। परंतु चीन हमसे पीछे कैसे रहे। उसने समुद्र पर 55 किलोमीटर लम्बाई का दुनिया का सबसे लम्बा पुल बना दिया है।
यहीं अंतर है भारत और चीन में।
हम अपने देश में सूई से लेकर पटाखे तक छोटी-छोटी वस्तुएं भी चाईना से मंगवाते हैं और अपनी जनता को काम देने की बजाये उन्हें सबसिडी पर दो रूपये किलो गेहूं देकर हिंदु-मुस्लमान का खेल खिलाते हैं, परंतु चीन की जनता छोटी-छोटी चीजें बना कर दुनिया भर में सप्लाई करने में व्यस्त रहती है और अपनी सरकार से नौकरियां नहीं मांगती।
बस इतना सा ही अंतर है हम में और चीन में ।
-बलदेव सिंह महरोक
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