शुक्रवार, 1 जुलाई 2016

उदास मित्र से

उदास मित्र से


कैसे हो यार
जिंदगी के दिन हैं चार
कुछ  बोला करो
 कुछ हंसा करो
 कुछ खाया करो
 कुछ पिया करो
 मजे से जिया करो
रोते रहते हो
 शिकायत करते रहते हो
लड़ते रहते हो
 ईर्ष्या करते रहते हो
 खून जलाते रहते हो
 मजे से रहा करो
 कुछ काम किया करो
लोगों से मिला करो
बातें-चीतें किया करो,
किसी के घर जाया करो
किसी को घर  बुलाया  करो
 कुछ हंसा करो
 कुछ गुनगुनाया करो
तुम भी बस क्या हो यार
लगते  हो जैसे बीमार
मुंह फुलाए रहते हो
अरे बनो दिलदार
 क्या तुम्हें करना नहीं आता प्यार?
 कुछ सीख लो यार
या कुछ ले लो हमसे उधार
चुका देना  जब चाहे
या फिर मुफ्त में ही ले लो
अब हंस भी दो यार
(बलदेव सिह महरोक)



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