आजकल मां खबरें सुनाने के लिए नहीं कहतीं
(बलदेव सिंह महरोक)
मेरी बूढ़ी मां अनपढ़ है। वह पढना नहीं जानती। मुझे अखबार से खबरें सुनाने के लिए कहा करती है।
मैं अक्सर उन्हें खबरें पढ़कर सुनाया करता हूं।
आज मैंने बड़े गर्व के साथ एक खबर पढ़ कर सुनाई।
-मां, हमारे जवानों ने पाकिस्तान के चार जवान मार दिए।
-क्यों बेटा ? उसने पूछा।
-क्योंकि कल उनके जवानों ने हमारी दो जवान शहीद कर दिया था।
मैं दूसरी खबर पढ़कर सुनाने लगा तो मां बोली-बेटा, बस करो, अब और मत सुनाओ।
फिर कुछ रुक गंभीर हो कर बोली -बेटा, शहीद क्या होता है?
मां, दुश्मन ने हमारे दो जवानों को मारा था। जब दुश्मन हमारे जवानों को मारता है तो हम उन्हें शहीद कहते हैं।
मां, एक बार फिर चुप हो गईं और पता नहीं किन विचारों में खो गईं।
कुछ देर बाद फिर बोलीं-बेटा, हमारे जवानों ने उनके जवानों को क्यों मारा है।
-मां, वो हमारे दुश्मन हैं।
-और हम उनके कौन हैं।
-हम उनके दुश्मन हुए।
-पर, बेटा, उधर भी तो माओं के बेटे शहीद हुए होंगे।
मां की आवाज़ कहीं दूर से आती सुनाई दे रही थी।
-मां, वे हमारे दुश्मन हंै। हमने उन्हें मौत के घाट उतारा है।
मां गले में अटका थूक निगलते बोली-हमारे इधर की माओं के बेटों की उधर की माओं के बेटों के साथ क्या दुश्मनी थी ?
मां का प्रश्न मुझे विचलित करने वाला था।
-मां, जवानों जवानों की आपस में दुश्मनी थोड़े ही होती है। उधर भी सैनिक होते हैं, इधर भी सैनिक होते हैं। उनकी डियूटी तो लड़ने की होती है। सीमा पार के लोगों से लड़ना । उन्हें मारना।
-पर ये लड़ते क्यों हैं?
-मां, इन्हें सरकार द्वारा जो हुक्म मिलता है, वही करते हैं।
-वे क्यों ऐसा करते हैं?
-क्योकिं उन्हें इसी काम के लिए रखा जाता है जिसके बदले में उन्हें वेतन मिलता है।
-यानि वे पैसे लेकर उन लोगों को मारते हैं जिनके साथ उनकी कोई दुश्मनी नहीं होती।
मां की आंखें कहीं दूर शून्य में झांक रही थीं। मानो कुछ देख रही हों।
आजकल मां मुझे खबरें सुनाने के लिए नहीं कहती।
(कृपया अपनी प्रतिक्रिया देवें। आभारी होऊंगा)
(बलदेव सिंह महरोक)
मेरी बूढ़ी मां अनपढ़ है। वह पढना नहीं जानती। मुझे अखबार से खबरें सुनाने के लिए कहा करती है।
मैं अक्सर उन्हें खबरें पढ़कर सुनाया करता हूं।
आज मैंने बड़े गर्व के साथ एक खबर पढ़ कर सुनाई।
-मां, हमारे जवानों ने पाकिस्तान के चार जवान मार दिए।
-क्यों बेटा ? उसने पूछा।
-क्योंकि कल उनके जवानों ने हमारी दो जवान शहीद कर दिया था।
मैं दूसरी खबर पढ़कर सुनाने लगा तो मां बोली-बेटा, बस करो, अब और मत सुनाओ।
फिर कुछ रुक गंभीर हो कर बोली -बेटा, शहीद क्या होता है?
मां, दुश्मन ने हमारे दो जवानों को मारा था। जब दुश्मन हमारे जवानों को मारता है तो हम उन्हें शहीद कहते हैं।
मां, एक बार फिर चुप हो गईं और पता नहीं किन विचारों में खो गईं।
कुछ देर बाद फिर बोलीं-बेटा, हमारे जवानों ने उनके जवानों को क्यों मारा है।
-मां, वो हमारे दुश्मन हैं।
-और हम उनके कौन हैं।
-हम उनके दुश्मन हुए।
-पर, बेटा, उधर भी तो माओं के बेटे शहीद हुए होंगे।
मां की आवाज़ कहीं दूर से आती सुनाई दे रही थी।
-मां, वे हमारे दुश्मन हंै। हमने उन्हें मौत के घाट उतारा है।
मां गले में अटका थूक निगलते बोली-हमारे इधर की माओं के बेटों की उधर की माओं के बेटों के साथ क्या दुश्मनी थी ?
मां का प्रश्न मुझे विचलित करने वाला था।
-मां, जवानों जवानों की आपस में दुश्मनी थोड़े ही होती है। उधर भी सैनिक होते हैं, इधर भी सैनिक होते हैं। उनकी डियूटी तो लड़ने की होती है। सीमा पार के लोगों से लड़ना । उन्हें मारना।
-पर ये लड़ते क्यों हैं?
-मां, इन्हें सरकार द्वारा जो हुक्म मिलता है, वही करते हैं।
-वे क्यों ऐसा करते हैं?
-क्योकिं उन्हें इसी काम के लिए रखा जाता है जिसके बदले में उन्हें वेतन मिलता है।
-यानि वे पैसे लेकर उन लोगों को मारते हैं जिनके साथ उनकी कोई दुश्मनी नहीं होती।
मां की आंखें कहीं दूर शून्य में झांक रही थीं। मानो कुछ देख रही हों।
आजकल मां मुझे खबरें सुनाने के लिए नहीं कहती।
(कृपया अपनी प्रतिक्रिया देवें। आभारी होऊंगा)
सुन्दर है
जवाब देंहटाएंBhai bhai dushman ek bhai kahawe Saheed ek Kahawe Mirtak
जवाब देंहटाएंVery nice!
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