हे राम !
हे राम!
तुझको सलाम!
साॅरी!
मैं गलत बोल गया।
ज़बान फिसल गई।
मुझे दूसरे धर्म की भाषा नहीं बोलनी चाहिए थी।
तेरे भक्त नाराज़ हो जायेंगे।
पता नहीं तुझको पसंद है या नहीं,
पर तेरे भक्तों को पसंद नहीं है ।
मैं अपने शब्द वापिस लेता हूं ।
2.
हे राम !
एक बात तो बताओ !
क्या तुम केवल भाजपा के हो ?
बाकी हिंदुओं के नहीं ?
सिखों के नहीं ?
ईसाइयों के नहीं ?
मुस्लमानों के नहीं ?
दलितों के नहीं ?
मैंने सुना था घट-घट मे होता है राम !
तुम चुप क्यों हो ?
साॅरी !
मुझे अंदर की बात नहीं पूछनी चाहिए थीं ।
--बलदेव सिंह महरोक
हे राम!
तुझको सलाम!
साॅरी!
मैं गलत बोल गया।
ज़बान फिसल गई।
मुझे दूसरे धर्म की भाषा नहीं बोलनी चाहिए थी।
तेरे भक्त नाराज़ हो जायेंगे।
पता नहीं तुझको पसंद है या नहीं,
पर तेरे भक्तों को पसंद नहीं है ।
मैं अपने शब्द वापिस लेता हूं ।
2.
हे राम !
एक बात तो बताओ !
क्या तुम केवल भाजपा के हो ?
बाकी हिंदुओं के नहीं ?
सिखों के नहीं ?
ईसाइयों के नहीं ?
मुस्लमानों के नहीं ?
दलितों के नहीं ?
मैंने सुना था घट-घट मे होता है राम !
तुम चुप क्यों हो ?
साॅरी !
मुझे अंदर की बात नहीं पूछनी चाहिए थीं ।
--बलदेव सिंह महरोक
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