जब बिल्ली ने शेर के जबड़े पर मारा एक घूंसा
एक बार शेर ने बिल्ली को अपने घर आने का न्योता दिया। मकसद था जंगल में अपनी खुंखार छवि को सुधारना। क्योंकि शेर जंगल के जानवरों को बेवजह मारने के लिए काफी बदनाम हो चुका था।
बड़ी आलोचना होने लगी बिल्ली की उसकी बिरादरी की बिल्लियों की ओर से। पर बिल्ली खामोश थी। उसने शेर का न्यौता स्वीकार कर लिया।
नियत दिन बिल्ली शेर के घर पहुंची। खूब आवभगत हुई। शेर और शेरनी और बच्चों ने मिलकर उसकी खूब आवभगत की। बिल्ली के आगमन पर उन्होंने एक भव्य समारोह का आयोजन किया।
शेर बिल्ली की प्रशंसा करते हुए बोला - बिल्ली, रिश्ते में तुम हमारी मौसी लगती हो। तुम्हारे और हमारे पूर्वज एक थे। इसका प्रमाण यह है कि तुम्हारे और हमारे नैन नक्श आपस में कितने मिलते-जुलते हैं। नाक, मुंह, मूंछें, पूंछ सभी। तुम्हारा हमारा भोजन भी एक सा ही होता है। तुम अन्य जानवरों से भी श्रेष्ठ हो।
बिल्ली सदियों से शेर की आदतों से वाकिफ थी। वह जानती थी बिलियां होशियार होती हैं पर शेर की तरह मक्कार, धोखेबाज नहीं होती ।
बिल्ली बोली, शेर भैया तुम बहुत अच्छे हो।
सुनकर शेर बहुत खुश हुआ।
तभी बिल्ली ने एक जोरदार घूंसा शेर के जबड़े पर मारा।
यह क्या मौसी ? --शेर हक्का-बक्का हो कर पूछने लगा।
'मूर्ख इतना भी नहीं जानता। यह तेरे लिए तोहफा लाई हूं। तेरी मौसी हूं।'
'और सुन, मूर्ख, तुझे जंगल में रहने का शऊर सीखना होगा।
'वह कैसे मौसी ? ' शेर पूछने लगा।
' वह यूं कि , जंगल सब का है, एक का नहीं। हाथी भालू गीदड़, खरगोश, बिल्ली, भेड़िए आदि सभी इसी जंगल के निवासी हैं। तुम्हें उनके साथ प्यार से रहना चाहिए। जो इस जंगल में पैदा हुआ है, वह इसी जंगल का बेटा है।'
शेर अपना जबड़ा सहलाने लगा। उसे समझ नहीं आ रही थी कि वह रोते या हंसे।
घूंसे के बाद शेर का जबड़ा
कुछ टेढ़ा हो गया है। सुना है शेर आजकल अपने जबड़े सिंकाई कर रहा है।
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