बुधवार, 19 सितंबर 2018

       अंधेर नगरी
(कोतवाल की कचहरी में)
-श्रीमान, शेल्टर होम में बच्चियों से रेप होता था।
-बहुत बुरी बात है।
- हां साहब।
-कौन चलाता था शेल्टर होम को।
-साहब एक नेता है । वही चलाता था।
 -उसे पकड़ कर लाओ।
-कैसे पकड़ें श्रीमान, नेता है वह। कानून का मालिक वही है। 

3
-कहां होता था रेेप?
-इस बिल्डिंग मे।
-बिल्डिंग किसने बनाई थी।
 -साहब, ठेकेदार ने।
-ठेकेदार को पकड़ कर लाओ। 

4

-ठेकेदार! क्या यह बिल्डिंग तुमने बनाई है?
-साहब मैंनेे तो ठेका लिया था। बिल्डिंग तो मिस्त्री ने बनाई है।
-मिस्त्री को पकड़कर लाओ।

-साहब मिस्त्री हाजिर है।
-क्या यह बिल्डिंग तुमने बनाई थी।
-साहब, मैंने तो ईंट लगाई थीं, जो मुझे मजदूर ने दी थी। 
-ठीक है। मजदूर को पकड़ कर लाओ।
-साहब, मजदूर हाज़िर है। 
-क्यों रे, मिस्त्री को ईंटें तुमने पकड़ाई थी?
-जी सरकार।
-पर ईंटें मैंने नहीं बनाई थी। ईंटें तो भट्ठे  से आई थी। 
-भट्ठे वाले को बुलाओ। 
-साहब भट्ठे वाला हाजिर है। 
-तुमने कैसी ईंटें बनाई हैं?
-साहब, ईंटे तो पथेरे ने पाथी थीं,  मैंने नहीं। पूछ लो चाहे ।  मेरे साथ ही आया है। 
-क्यों रे पथेरे, ये ईंटे तुमने पाथी थीं ?
-जी सरकार।
-तुमने ऐसी ईंटें क्यों बनाई। 
-????
...........आर्डर,.. आर्डर...आर्डर..
सभी सबूतों के आधार पर इस पथेरे को सात साल बामुशक्कत कैद की सजा दी जाती है। 

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