आत्म निर्भर
अपनी ही धुन में मस्त यू- ट्यूब पर एक ताजा ताजा सुना हुआ गीत गुनगुनाता हुआ वह गुसलखाने में दाखिल हो नहाने लगा । गुनगुनाने और ठिठुरने की आवाज़ बाहर तक भी आ रही थी। नहा चुकने के बाद पोंछने के लिए तौलिया देखने लगा। पर वह तो खूंटी पर नहीं था। याद आया तौलिया तो बाहर ही भूल आया था।
थोड़ा सा दरवाजा खोल कछुए की भांति गर्दन बाहर निकाल कर उसने श्रीमती जी को आवाज लगाई- ज़रा तौलिया तो पकड़ा दो।
एक हाथ में पकड़े हुए मोबाइल पर नजरें गड़ाए गुस्से से तौलिया उसकी तरफ पटक कर जाते- जाते बोल गई-'आत्म निर्भर बनो।'
--बलदेव सिंह महरोक
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