शनिवार, 24 मार्च 2018

 वह सांवली लड़की 
वह सांवली लड़की
कन्धों पर एक फटी बोरी लटकाए
तीखे नैन नक्श वाली लड़की
भरी यौवना सी
निर्लिप्त नैन
 फटे कुर्ते से झांकते
अपने फटे अंचल से
रह रह कर छुपाती अपने यौवन को
वह सांवली लड़की
सड़कों के किनारे \
दुकानों के सामने/मकानों के पीछे
कूड़े के ढेर पर बीनती
कागज के टुकड़े
प्लास्टिक थैलियां
लोहे के टुकड़े
वे अलहड़ सी
इसी ---धरती की पुत्री
किसी  चित्रकार की  मूर्ति
 कभी झुकती, कभी  उठती
 आसपास से बेखबर
सहसा उसकी  की बगल में
कार से उतरी एक
चिट्टे दूध रंग की युवती
बाल कटे हुए
भवें तराशे हुई
ब्यूटी पार्लर से सजी
कृत्रिम मेकअप से
व्यर्थ में छुपाते हुए  गालों
पर उभर आये धब्बों को
ऊँची एड़ी के सैंडिल को  ठपठपाती,
कार के पास से गुजरते
कागज बीनते लड़की  को
हिकारत से  देखकर
नाक पर रुमाल रखा
शो रूम में दाखिल  होते ही
उसने साँवले सुन्दर चेहरे को देखा
और तुलना  की अपने चेहरे से
कहीं ज्यादा खूसूरत थी वह सांवली लड़की

और देखती रह गई।
अपने से कहीं ज्यादा  अमीर लगी उसे
 वह सांवली लड़की
जल गयी देखकर ईर्ष्या से
उसे अपना चेहरा और भी कुरूप लगने लगा
 और वह  सांवली लड़की
अपने आसपास  से अनभिज्ञ
 लपकी एक बड़ा सा प्लास्टिक का टुकड़ा देखकर
मिल गया हो मानो
उसे कोई खजाना
चमक उठी आँखें उसकी।
अब  उसका सांवला चेहरा
और भी दमकने लगा।














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