मंगलवार, 27 मार्च 2018

सीता पूछे एक स्वाल

सीता पूछे एक स्वाल 


‘तुमने मुझसे साढ़े तीन हजार साल पहले विवाह किया था?’
‘‘हां, किया था’
‘और मैंने  14 वर्षोें तक  अपने सारे सुख त्याग कर  तुम्हारा जंगलों में साथ निभाया था। "
‘हां, निभाया था’
‘इसके बावाजूद फिर तुमने मुझ पर अविश्वास क्यों किया? मेरा त्याग क्यों किया?’"
‘‘पर लोगों की ज़बान तो नहीं पकड़ी जा सकती थी ना! "
‘‘ठीक है। अगर यह बात है तो आज मैं स्वयं ही तुम्हारा त्याग करती हूॅं।"
‘पर क्यों?’
वह सीता कई हजार साल पहले राम के पल्लू में दी गई  थी अब पढ़ लिख कर अपना भला बुरा स्वयं सोचने लगी है। आज उसे भी राम से एक स्वाल पूछने का साहस है।’
‘ क्या ? ठीक है,  चलो, पूछो!’
‘यही कि मैं तुम पर यह कैसे विश्वास कर लूं कि मेरी अनुपस्थिति में तुमने भी किसी.....’
‘अ..अ..अ............!!!’
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